Lata Mangeshkar Death Anniversary, खबर24घंटे की और एक नयी आर्टिकल मैं आपका स्वागत है | ये आर्टिकल भारत की कोकिला के रूप में परिचित सबकी दिलों मैं राज करने वाली लता मंगेशकर की बारे मैं है |
लता दी के नाम से मशहूर दिगंत गायिका लता मंगेशकर को आज यानि 6 फरवरी, 2024 को उनकी दूसरी पुण्य तिथि पर पूरा भारत उनको और उनकी मशहूर गाने को याद कर रहे है। लता दी के नाम से मशहूर दिगंत गायिका लता मंगेशकर को आज यानि 6 फरवरी, 2024 को उनकी दूसरी पुण्य तिथि पर पूरा भारत उनको और उनकी मशहूर गाने को याद कर रहे है। लता मंगेशकर भारतीय संगीत के विकास में प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक थी | उनकी गाने केलिए उनको कई सारी प्रसंसा और पुरस्कार भी प्राप्त हुए है | उनके बारे मैं और जानने केलिए आगे पढ़े |
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Lata Mangeshkar Death Anniversary
भारत की स्वर कोकिला के नाम से पुरे भारत मैं मसूर लता मंगेशकर 6 फेब्रुअरी 2022 को निधन हो गया था | फ्हिलाल उनकी निधन को 2 साल हो गया हो लेकिन भारत को लोगो के दिल मैं उनकी एक जगह बनाली है | उनको और उनकी गाने को लोग अभी भी याद कर रहे है |
लता मंगेशकर की सुनहरा सफर
लता मंगेशकर, जिनका जन्म 28 सितंबर, 1929 को हुआ था, वो सिर्फ पांच साल की उम्र में गाना सीखना शुरू कर दिया था और 70 से अधिक वर्षों तक उन्होंने अपनी गाने से पुरे देश की लोगो का दिल जित लिया था । उन्होंने हिंदी, मराठी, तमिल, बंगाली और अन्य भारतीय भाषाओं के अलावा तीस से अधिक भाषाओं में गाने रिकॉर्ड किए हैं। “लग जा गले,” “मोहे पनघट पे,” “होठों में ऐसी बात,” “चलते चलते,” “सत्यम शिवम सुंदरम,” “पानी पानी रे,” “अजीब दास्तां है,” “प्यार किया तो डरना प्रीविया,” और “नीला आसमान सो गया” उनके कुछ सबसे प्रसिद्ध गाने हैं।
क्यूँ लता दी का पहला गाना रिलीज़ नहीं हुआ ?
28 सितंबर 1929 को इंदौर में जन्मीं लता मंगेशकर मशहूर संगीतकार दीनानाथ मंगेशकर की बेटी थीं। वह एक मराठी मध्यमवर्गीय परिवार से आती थीं। उनके पिता ने उन्हें संगीत और सद्भाव की मूल बातें सिखाईं। कम ही लोग जानते हैं कि लता जी ने अपना पहला गाना “नाचू या गादे, खेलु सारी मनि हौस भारी” 1942 में मराठी फिल्म किती हसल के लिए रिकॉर्ड किया था। अफसोस की बात है कि यह गाना फिल्म के अंतिम संस्करण में शामिल नहीं किया गया था। वह गाना कभी रिलीज़ नहीं हो सका क्योंकि उसे दे दिया गया था |
लता मंगेशकर की पहली हिट गाना
1948 की फिल्म “मजबूर” में लता को मास्टर गुलाम हैदर के लिए एक गाना गाने के लिए मजबूर किया गया था। गाने के बोल थे “दिल मेरा तोड़ा।” इसके बाद लता की किस्मत बदल गई | इस फिल्म का साउंडट्रैक और गाने भी हिट हुए। लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब उनकी आवाज़ कुछ लोगों को नापसंद थी. पतली आवाज के कारण उन्हें फिल्मों से रिजेक्ट कर दिया गया, लेकिन लगन और कड़ी मेहनत से वह देश के शासक बन गये।
लता मंगेशकर को नवाजा गया था इन सारी उपाधि से
मंगेशकर की पुण्यतिथि भारतीय संगीत उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है और एक गायिका और गीतकार के रूप में उनकी कौशल का प्रमाण है। उन्हें लगातार ‘मेलोडी की रानी’, ‘वॉयस ऑफ द मिलेनियम’ और ‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’ के रूप में सम्मानित किया गया था और उनका निधन एक बहुत बड़ी क्षति है।
भारतीय संगीत उद्योग में लता मंगेशकर का योगदान अतुलनीय है। उन्होंने विभिन्न भाषाओं में 25,000 से अधिक गाने गाए हैं और उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार और विभिन्न राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों सहित कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं।
2001 में, उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया, और वह भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वाली दूसरी गायिका बन गईं। मंगेशकर की पुण्यतिथि उनकी अविश्वसनीय प्रतिभा और अपने संगीत के माध्यम से लाखों लोगों को मिली खुशी को याद करने का दिन है। उनकी विरासत आने वाले कई वर्षों तक जीवित रहेगी और भारतीय संगीत उद्योग में उनके योगदान को आने वाले वर्षों में याद किया जाएगा।
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